इंशाल्लाह

फज्र की हर अज़ान सुन कर फर्ज़ नमाज़ तेरे साथ पढ़ना चाहती हूं। तहज्जुद की हर नमाज़ में तेरे दर्द को अपने आंसुओं में बयां करना चाहती हूं। और सलातुल- हाजत की वो खास नमाज़ उसमें तमाम उम्र सिर्फ तेरा साथ मांगना चाहती हूं। जब कभी इख्तियार करूं काले बुर्के का नायाब लिबास तो मेरे हर कदम पर सुफेद कुर्ते - पैजामे में तेरा साथ चाहती हूं.....