इंतज़ार

फिर वही हंसी , वही खुशियों की बौछार ले कर आना मैं दौड़ी चली आऊंगी शनिवार सी तुम भी फुर्सत से इतवार बन कर आना..... कुछ बातें, कुछ मुलाकातें करनी है तुमसे , मैं आऊंगी दिन भर की थकन सी और तुम मेरी शाम की चाय सा प्यार बन कर आना...... सारे जहां से लड़ झगड़ के वक्त निकालकर इंतजार में छत पर बैठी रहूंगी तुम शाम की वही ठंडी फुहार बन कर आना...... - Rabiya