पसंदीदा

यूं तो शौक नहीं मुझे़ किसी चीज का पर तुमको अच्छा लगता है बस इसलिए मेरा सजने- संवरने का मन करता है... और वो पीला रंग कुछ खास पसंद नहीं मुझे पर तुम कहते हो मेरे ऊपर खिलता है बस इसलिए पहन लिया करती हूं... आंखों में सुरमा खूब भाता है मुझे पर तुम्हें सादगी भरी नज़रें पसंद है मेरी इसलिए आंखों में सूनापन रखती हूं.... मेरा कभी - कभी सर पर दुपट्टा रखना तुम्हारे चेहरे पर खुशी ले आता है बस उसी चमक को देखने के खातिर ये अंदाज़ भी इख़्तियार कर लेती हूं... -Rabiya