डर😨😨
डर लगता है बहुत
न जाने किसको इक़रार करूँ।
खामोशी सी छाईं है
लब्जो की बेकरारी कैसे रोक लूँ ।
चंद मिनटों का सफर
लम्हों सा बीत जाने को तैयार है।
वक्त को शिकस्त कर
तकमील जहां का इंतज़ार है।
कुछ खो सा गया हूँ
चिड़चिड़ा हो सा गया हूँ।
फिर भी न जाने क्यों
डर को भी मुझ पर एतबार है।
मेरा अंदर छिप कर बैठा
आजकल यही मेरा यार है।
अंधेरों का हमसफ़र हूँ
रौशनी से कुछ रोज़ बेखबर हूँ।
फिर भी अपनी हालत पर
आज भी मुस्कुरा रहा हूँ।
डर को आज मैं भी कुछ
डर से ही डरा रहा हूँ।
Great man
ReplyDeleteThat's so deep 💯
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