अलहदा
दिन में धुंंआ - धुआं है , रात मेंं अंधेरा
ना उम्मीद की किरण है , ना आस का सवेरा
हाथ खाली और दिल भरा - भरा
आंख में आंसू है और ज़िन्दगी तन्हा......
हर सुबह एक हिम्मत है और रात दर्द का बसेरा
वही गिरकर उठने की कोशिश , फिर वैसे ही बेसहारा
बिन मंज़िल रस्ते पर चलना , और भटक कर रोते हुए सिसकना
ना हाथ कोई थामे , फिर थक हारकर ख़ुदा के आगे गिर जाना........
So well expressed ...👏👏
ReplyDeleteVery well written , keep it up👌
ReplyDelete🙏
DeleteIts awesome....👏👏
ReplyDeleteVery 👏👏
ReplyDeleteThank you
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