अलहदा

 



दिन में धुंंआ - धुआं है , रात मेंं अंधेरा

ना उम्मीद की किरण है , ना आस का सवेरा

हाथ  खाली और दिल भरा - भरा 

आंख में आंसू है और ज़िन्दगी तन्हा......


हर सुबह एक हिम्मत है और रात दर्द का बसेरा

वही गिरकर उठने की कोशिश , फिर वैसे ही बेसहारा

बिन मंज़िल रस्ते पर चलना , और भटक कर रोते हुए सिसकना 

ना हाथ कोई थामे ,  फिर थक हारकर ख़ुदा  के आगे गिर जाना........



Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

घुटन 🙂

मेरी दुआ

जी चाहता है... 🤩