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Showing posts from September, 2021

कुछ बाकी है 💟

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  कुछ गुलाबों कि किस्मत में बंद किताबों का ही स्पर्श है किसी के दिल को लुभाना नही यादों को ना दफनाने का फर्ज है जब थी कभी तो खिली हुई आज टूटा हुआ हर एक तर्ज है मैं कही वो ना जाने है कही  वर्तमान का बस यही सच है उम्मीद नही है तो सुकून है रास्ते निकल आते कही तो  दिवारें गिराना जरुरी पड़ता आगे बढने से डरती नही हूँ पर पीछे मुड़ ना है कमजोरी वफ़ा को रास ना आए गलती मेरी अकेली हूँ पर ना बिखरी ही हूँ जीना सबको है तो जी रही हूँ |

जरूरत खुशी कि हैं😁😇

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  ये झूठी शक्लें मासुमियत कैद किए है मनसुब इरादे  तेरा रखना ठीक ही है वरना इरादे तेरे झलक जाएगे दरमियान तो दिल जोडना मुश्किल मालूम पड़ेगा हजारों सवाल पूछ ले तुझे मंजूरी है पर एक सवाल का हिसाब ना रखना कैसी हूँ मैं आजकल यह पूछ कर  मुझे फिर कही तू नराज़ ना कभी करना वक्त है आज नही तो कल बीत जाएगा काश शुरू में ही बयां किया होता सब कि इतनी जल्दी तू मेरे जहाँ से चला जाएगा बंद ताले सा लिया दिल लिए फिर रही चाभी कि तलाश भी नही है मुझे अब कयोकि हसीन बातें अंदर ही अंदर निगल रही जरूरत अब तेरी नहीं मुझे मेरी खुद कि है  जो कही खो गई थी उसे ढूंढना बेहद जरूरी है मैं देखती हूँ, हसती हूँ, खिलखिलाती भी हूँ दूसरों से दिल में जख्म भरा छुपाया करती हूँ सच मैं पहले बेझिझक कह दिया करती थी  अब झूठ का सहारा लिया जीना चाहती हूँ...... 

पिता 👨👴

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 ये पिता की बात आतें ही जुबान पर सारे किस्से कहानियाँ कम पड़ जातें है | दिल में तमाम खजाना भर रखा है लेकिन सिहाई की पकड़ ना आ पाती है | माँ ने जन्म दिया तो उसका अधिकार लेकिन गोद पहले पिता की ही मिली थी | उन हाथों की एक आधी ऊंगली ही पुरा बचपन मैं निडर थामे चली थी | खडी़ होकर कई बार गिरी चोटें लगी लेकिन संभाला मुझे मुसकुरा कर हर बार हैं | ऐसा नही कि उन्हें किसी बात का दुख नही लेकिन मेरे ऊपर भावनाऐं करते व्यक्त नही | घोड़ा गाड़ी बने मुझे चाव से खिलाया लेकिन लड़की बोझ है ये महसूस ना कराया | पिता का बीता समय बड़ा कठिन भया था अपने बल बुते पर उन्होंने पुरा जहाँ बुना था | हमारी ख्वाहिशें कभी कम ना होती थी लेकिन ना कि आवाज कभी ना सुनाई | ये सच है कि माँ की फिकर बहुत है मुझे लेकिन पिता से प्रेम जिदंगी से भी ज्यादा है | उनकी मेहनत की कोई भी बोली नही लेकिन तमाम सहारों से नमुना देखती हूँ | खुशियाँ मेरे दामन में जो आज बह रही वो भला कभी कहा मुफ्त में कहीं बिकती है | मुझे पिता ही नही बल्कि एक गुरु भी मिला दूसरों की जरूरत नही मेरे दोस्त आप सा भला | आप जैसे आगर एक प्रतिशत भी बन जाऊँ तो जीवन सार्थक म