कुछ बाकी है 💟

कुछ गुलाबों कि किस्मत में बंद किताबों का ही स्पर्श है किसी के दिल को लुभाना नही यादों को ना दफनाने का फर्ज है जब थी कभी तो खिली हुई आज टूटा हुआ हर एक तर्ज है मैं कही वो ना जाने है कही वर्तमान का बस यही सच है उम्मीद नही है तो सुकून है रास्ते निकल आते कही तो दिवारें गिराना जरुरी पड़ता आगे बढने से डरती नही हूँ पर पीछे मुड़ ना है कमजोरी वफ़ा को रास ना आए गलती मेरी अकेली हूँ पर ना बिखरी ही हूँ जीना सबको है तो जी रही हूँ |