पिता 👨👴


 ये पिता की बात आतें ही जुबान पर
सारे किस्से कहानियाँ कम पड़ जातें है |
दिल में तमाम खजाना भर रखा है
लेकिन सिहाई की पकड़ ना आ पाती है |
माँ ने जन्म दिया तो उसका अधिकार
लेकिन गोद पहले पिता की ही मिली थी |
उन हाथों की एक आधी ऊंगली ही
पुरा बचपन मैं निडर थामे चली थी |
खडी़ होकर कई बार गिरी चोटें लगी
लेकिन संभाला मुझे मुसकुरा कर हर बार हैं |
ऐसा नही कि उन्हें किसी बात का दुख नही
लेकिन मेरे ऊपर भावनाऐं करते व्यक्त नही |
घोड़ा गाड़ी बने मुझे चाव से खिलाया
लेकिन लड़की बोझ है ये महसूस ना कराया |
पिता का बीता समय बड़ा कठिन भया था
अपने बल बुते पर उन्होंने पुरा जहाँ बुना था |
हमारी ख्वाहिशें कभी कम ना होती थी
लेकिन ना कि आवाज कभी ना सुनाई |
ये सच है कि माँ की फिकर बहुत है मुझे
लेकिन पिता से प्रेम जिदंगी से भी ज्यादा है |
उनकी मेहनत की कोई भी बोली नही
लेकिन तमाम सहारों से नमुना देखती हूँ |
खुशियाँ मेरे दामन में जो आज बह रही
वो भला कभी कहा मुफ्त में कहीं बिकती है |
मुझे पिता ही नही बल्कि एक गुरु भी मिला
दूसरों की जरूरत नही मेरे दोस्त आप सा भला |
आप जैसे आगर एक प्रतिशत भी बन जाऊँ
तो जीवन सार्थक मायने में समझ आएगी |
वरना आधी अधूरी जिदंगी में मजा कुछ नहीं...... 









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