घुटन 🙂



मेरे भी सपनों का आसमां था
जो आकर ज़मीन पर बिखर गया ,
 मत पूछो ! इतने टुकड़े हुए 
 कि हर कदम सौ - सौ घाव देता गया....
 
जिन रास्तों पर अरमान सजाए थे
वहां ना ख़ुशी मिली , ना हंसी
बस बचा - कुचा सा हौसला था
वो भी धीरे - धीरे दम तोड़ गया...

इस वक़्त ने ऐसा जकड़ लिया
कि ना जी सके , ना भाग सके 
ख़ुद में सिमट कर रह गए और 
 बस दम घुटता गया.....


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