मेरी माँ😍



ननिहाल में ही मेरी माँ के नाम से मेरी पहचान है
बाकी तो ये देश पुरुष प्रधान है
इस बात का कोई शोक नहीं
बस थोड़ा दुख है मुझे
और प्रकट करने की अभिलाषा मेरे ध्यान है।

इस दुनिया के जमघट से पहले
मेरी माँ के अंदर मेरा बसेरा था
नौ महीनों का वो नाता सिर्फ मेरा और तेरा था
तकलीफों का दौर आया तो क्या
तु मुझे देख खुब मुसकुरायी
जैसे तुझे दर्द की सीमा छूने न पाई।

तुझसे प्यार मिला बहुत तो फटकार भी सुनीं है
मगर मेरे मन में तु आज भी वैसे की वैसे है
अक्षरों का ज्ञान कम ही क्यों ना हो तुझे
जिंदगी का हर हिस्सा तेरी बदोलत
मुझसे परे ना रह पाएंगा
मेरा गुरु जिंदगी भर तु ही कहलाएगा।

मेरे थाली भर खाने को
तेरा एक निवाला टक्कर देता है
ऐसी जादू की कोई तेरे हाथों में रेखा है
पापा की परी क्यों ही ना कहलाऊ में
मेरे लिए सरवोपरि हमेशा तु ही रहेगी
तेरे आगे ना कभी किसी की चली है और ना चलेगी।

मज़ाक ठिठोली तेरी खुब उड़ाते हैं
तुझे परेशान करने के लिए नहीं
बल्कि दिन भर की थकान मिटाना चाहते है
तेरी गोद हो या तेरा आंचल
हमेशा शीतल जल जैसा लगता है
मेरे मन में उर्जा ला दे ऐसे खुदा ने इसको लिखा है।

कई बलिदान तुने दिये होगें
मुझे हमेशा उनसे अनजान ही रखा है
एक तु ही तो है जिसने औरों के लिए जीना सिखा है
मैं चाहूँ भी तो चंद लफ़्ज़ों में तेरा ज़िक्र क्या करूँ
तुने बीना किसी स्वार्थ के कि हमेशा हमारी सेवा है।

गुजरते समय के साथ मेरी उम्र भी बढ़ रही है
मगर तेरे आंखों की पटी तुझसे आज भी मुझे वो
छोटा नादान बच्चा मुझे समझ रही है
कभी माँ, कभी पत्नी तो कभी बहु, बहन बनकर
तुने सारे नाते क्या खूब निभाए
लोगों की ठोकरों को तुने अपने शस्त्र बनाए।

इन सारे कामों के बदले  महीने भर की तनख्वाह
हमारी खुशी का हिसाब है
खुद के लिए कुछ करना तेरे उसूलो के खिलाफ  है
खैर तु तो अच्छी माँ साबित हुई
अब में अपना धर्म निभाऊंगी
बेटी हूँ तो क्या हुआ तेरे बुढापे में
बेटे का फर्ज भी निभाऊंगी।

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