आस
हर रात मेरे रुमालों में तेरी खुशबू लेकर सो जाती हूं
यूं ही हर रोज़ तेरे आने की आस से खुश हो जाती हूं...
तेरी कही हर बात का ऐतबार कर लेती हूं
एक अनदेखी सी दुनिया और उस दुनिया में
अपना घर सजा लेती हूं...
मेरी हर सांस में तेरा ही ज़िक्र रखना चाहती हूं
इस दुनिया से आखिरत की दुनिया तक
सिर्फ तुझे ही कुबूल करना चाहती हूं....
-rabiya
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