उलझी सी दास्तां




 तुम सब्र देखना चाहते हो, मैं हुनर दिखाना चाहती हूँ

तुम हर वक़्त मेरा इम्तेहान चाहते हो ,

और मेरे पास वक़्त की कमी है ये बताना चाहती हूँ....


तुम मेरा विश्वास मापना चाहते हो ,

मैं तुम्हे हक़ीक़त बना के दिखाना चाहती हूँ

तुम मेरे सपनों का सौदा करना चाहते हो ,

तो फ़िर मैं तुम्हें उनकी क़ीमत बताना चाहती हूँ.......

                                                      -rabiya

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