उलझी सी दास्तां
तुम सब्र देखना चाहते हो, मैं हुनर दिखाना चाहती हूँ
तुम हर वक़्त मेरा इम्तेहान चाहते हो ,
और मेरे पास वक़्त की कमी है ये बताना चाहती हूँ....
तुम मेरा विश्वास मापना चाहते हो ,
मैं तुम्हे हक़ीक़त बना के दिखाना चाहती हूँ
तुम मेरे सपनों का सौदा करना चाहते हो ,
तो फ़िर मैं तुम्हें उनकी क़ीमत बताना चाहती हूँ.......
-rabiya
So well written..... ❤
ReplyDeleteExcellent expression 🤠....
ReplyDeleteGreat🙌🙌
ReplyDeleteThank you🙏
DeleteToo good yrrr..
ReplyDeleteKeep going🤗🤗
Thank u🙏
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