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Showing posts from July, 2021

अनजान ही सही है 😑🤫

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  अग्यार बना बैठा यहाँ सबसे जाने अनजाने चहरे पढ़ रहा हूँ | मुखोटो के पीछे छुपी है कहानी दिलचस्प है फिर भी अनदेखा कर रहा हूँ | बूरा बनने का खौफ़ नहीं है मुझे पर अपनी अच्छाई से थक रहा हूँ | दुश्मन दोस्त बना हुआ है आजकल तो दोस्ती से भी ज़रा डर रहा हूँ | दूसरो का वक्त बेवक्त जरूरी हुआ खुद के रास्ते का काटा बन रहा हूँ | नियत साफ़ पर किस्मत खराब है दोषियों का दोषी बनने से बच रहा हूँ | कई सच झूठ बना कर दफनाएं है उनकी पोटली रस्सी से कस रहा हूँ | मैं भी इन मुखोटो का हिस्सा था  पर जिदंगी की चोट से सिख रहा हूँ | अग्यार बना बैठा यहाँ सबसे जाने अनजाने चहरे पढ़ रहा हूँ |

फुर्क़त 🥺🥺

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  क़ासिद मेरा पेगाम ले जा तबाही, तोहमत, तशरीह नहीं,  बस कोरा कागज़ उसके नाम ले जा | सुकून नहीं तो क्या हुआ,  बस दोस्ती का फरमान ले जा | तुझसे महरूम रह कर भी तेरी थी,  पर वक्त को हो रही शायद ज़रा देरी थी | मैं खुद में इतना खो गई कि ,  तेरी भी हु में इस मोह से बाहर हो गई | गलतियों के किस्से मेरे हजार है,  पर तूने मुझे माफ किया हर बार है | कोई कुचा ना रहा मेरा सबुत,  विश्वास था ना कोई झूठ | शिकायतें बिलकुल नही है तुझसे,  पर दिल में गुस्सा भरा तमाम है | आज हुआ तू पूरा अनजान,  कल तक तेरे होने से था अभिमान| दुरियोँ ने तो फिर भी समझोता किया ,  पता नहीं मैंने ही क्यों कुछ ना किया | जितनी खुशी से जीवन का हिस्सा बना,  खौफ का आईना तुने मुझमें उतना ही पाया| वक्त से हमेशा मेरी कोई लडाई रही ,  जो चीज  मुझे पसंद आई मेरी कभी न बनी| अब खुश रहूँ या दुखी कशमकश है ,  कसमें हजार जो टूटी इसका तो गम है| खयालों की दुनिया हमारी बून रही थीं,  खुबसूरती से चीजे चुन रही थी|  इख़्तियाम नहीं आगाज़ हुआ है,  मेरा अकेलापन आज मुझसे रुबरु हुआ है| मुसलसल ये कहानी चली है ,  मुख्तार है इतनी याद मुझे हो गई है| निशानी तो नहीं

बाप... या... बीटिया 😢

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आज किस कटघरे में खड़ा हूँ एक तरफ बीटिया की शादी दूसरी तरफ बाप के बोझ से दबा हूँ | बीटिया जोडे में तैयार बैठी बाप दम तोड़ रहा है मैं बस अशक रोके सह रहा हूँ | पैसो की किलत का क्या गरीबी का मैं शिकार हुआ हूँ  ऐसी किसमत के लिए इश्वर को कोस रहा हूँ | एक कि जिदंगी का अध्याय तो दूसरे का अंत वक्त मैं बीच में खड़ा पन्ने खोल रहा हूँ | प्यार मैंने हमेशा दिया परवाह का भी हिस्सेदार रहा हूँ पीढ़ियों की गाथाएँ जैसे रच रहा हूँ | मैं मजबूर लाचार इंसान पिता या बेटा बनू अभी इस असमंजस में सोच रहा हूँ | ना जाने किस कटघरे में खड़ा हूँ............ 

बीती बातें 🤡

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  अधूरी बातो से अच्छा बाते खत्म की जाए | खामोशीयाँ गुमराह कर वक्त जाया करेगी | क्यो ना डट कर सामना  किया जाए | शायद रिश्ते कमजोर हो पर गाठे जख्म देगी | आसूं  तू तो छुपा  लेगा पर  दिल मेरा कमजोर है कहीं ना कहीं  ये  दम तोड़ देगी| मै कुछ  बेपरवाह  हो गई पर  इसमें दोष तेरा तो नहीं | मैंने खुद ही तुझे अपनाया पर दोष मेरा भी तो नहीं | आज तू सही मैं गलत ये चर्चा पूरी व्यर्थ है बस फासलो का ही किसा सच है | कुछ गिला शिक़वा जैसा नहीं बस आज भी तेरा एतबार है | जिंदगी का अन्त नहीं बस ये शुरूआत है |