बाप... या... बीटिया 😢



आज किस कटघरे में खड़ा हूँ

एक तरफ बीटिया की शादी

दूसरी तरफ बाप के बोझ से दबा हूँ |

बीटिया जोडे में तैयार बैठी

बाप दम तोड़ रहा है

मैं बस अशक रोके सह रहा हूँ |

पैसो की किलत का क्या

गरीबी का मैं शिकार हुआ हूँ 

ऐसी किसमत के लिए इश्वर को कोस रहा हूँ |

एक कि जिदंगी का अध्याय

तो दूसरे का अंत वक्त

मैं बीच में खड़ा पन्ने खोल रहा हूँ |

प्यार मैंने हमेशा दिया

परवाह का भी हिस्सेदार रहा हूँ

पीढ़ियों की गाथाएँ जैसे रच रहा हूँ |

मैं मजबूर लाचार इंसान

पिता या बेटा बनू अभी

इस असमंजस में सोच रहा हूँ |


ना जाने किस कटघरे में खड़ा हूँ............ 


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