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Showing posts from May, 2020

तालाबंदी 🔐

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इस तालाबंदी में क्या तेरा क्या मेरा हाल हुआ जिंदगी घरों में सिमट गई ऐसा कोरोना का प्रहार विशाल हुआ इंसान पिंजरो में कैद पक्षिया आजादी का शोर मचाते है हम अंदर बैठे यही गुथी सुलझाते है। समाजिक दूरी ही इसका निवारण है मगर हम जान पर खेलने का शौक रखने वाले इसको भी भुल जाते हैं। आज हर वर्ग का इंसान चरणों पर बसर करने को मजबूर है चाहे वो उघोगपति हो या मजदूर है। राजनीति का बोल बाला आज भी कुछ कम नहीं हुआ है झूठे वादे करना ही उनकी सर्व प्रथम सेवा है। अस्पतालों में जमघट शवों का रोज़ लगा हुआ है मानों जैसे कीड़े-मकोडो सा दम मनुष्य रोज तोड़ रहा है। हम घरों के अंदर बसे खुद को सुरक्षित समझ रहे है मगर अस्पताल, पुलिस वाले आज भी जंग लड़ रहे है। कुछ बुरा तो कुछ अच्छा भी हुआ है वातावरण का प्रदूषण नदियों का कचरा कम भी तो हुआ है । अर्थशास्त्र में आई कमी सोच का दायिरा बढ़ा रही है तकनीकों से व्यवसाय प्रतिदिन बढ़ा रही है। परिस्थितियां बुरी हुई तो क्या काम आज भी नहीं रुका है जीवन शिक्षा का ढेरा हमेशा खोल रहा है। इस संकट की घड़ी में आप अपने परिवार के पास है ये भी क्या को

यादों का सफर 🙂☹️

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काश तेरी ज़िंदगी का मुदतो तक  रहबर ना सही निस्फ़ का तुकडा ही होती ख़लिश सा आज मुझे महसूस तो ना होता।  मेरे असहाय शरीर में तेरी रूह का रंग आज भी बेशुमार छाया है मेरे परदानशी क़ल्ब ने ये फरमान किसी रोज़ जगाया है।  माना इस निसबत की अज़ल मैंने ही रखी थी मगर तकाज़ा इस बात का है एहसान फरामोश की शतरंज के प्यादो का हिस्सा मैं तेरे हाथ ही बननी थी।  वफ़ा से दोस्ती थी मेरी आज हर कोई बेवफा सा लगता है मेरे होठ तो मुस्करा भी दे जनाब मगर इन आँखों से मेरा रिश्ता साफ़ दिखाता है।  आज बरख पर लिख कर तुझे तेरा मोजज़ा  समझ रही हूँ ना जाने किस कशमकश में मैं आज भी तुझको अपना समझ रही हूँ।  मेरे अंदर पिन्हां कर रहे जज्बात रोजाना कई पूरानी हिकायत बुनती है यादों की बस्ती में मुझे छोड़ नये जख्मों का रास्ता चुनती है।  जान-ए-अदा वो शफ़क़ तो याद ही होगी तुम्हें जिस शमा में असरार बातें हुई थी इमरोज़ मैं सोच रही थी वहाँ हो आऊँ मगर मन को जवाज़ करने में नाकाम रह गई।  क्या मैं तुम्हारे लिए इतनी बेजा़र थी कि हर वक़्त अनजान बने मशगूल रहते हो मफ़हूम तो किया होता अपने

मजदूर👷‍♀👷

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बेघर बना मारा- मारा सडको पर मैं पैदल बेचारा सिफर जिंदगी का ही तो था सहारा वक्त ने बना दिया आज मुझे भी अवारा। मैं इस देश का निर्माण कर्ता  झुग्गी झोपड़ि मेंरा निवास पैसो से मैं वंचित रहता फिर भी खुश रहने में मैं करता विश्वास। मेरे सपने कुछ खास नही अब तो इस जिंदगी से भी आस नहीं। गलने लगा है ये पुतला हाड़ मास का भुख से नाता हो गया है आस पास का आज महामारी भी मुझ से रूठी है क्योंकि मेरी जिंदगी का सत्य मजदूरी है। रीड की हड्डी सा काम मेरा नाम तो छोडो यहा मैं बदनाम जरा मेरी शाम जामो में नहीं दामों का हिसाब लगती है। मेरी विवशता आज लोगों के घरों में मशहूर है जी हां क्योंकि मैं एक मजदूर है।

RANGA DACOIT💀💀

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We three signifies a triangle Being on corners, always away But by heart, just like bae In room MLT 1 our friendship start And there I m always late in the class. Our hostels are far apart You two and me alone not smart But time knows how to play And make the equation In a perfect way. Well our life is adventures Not less than anyone else Strange path, long routes Being pauper,on foot And for these situation we're the roots. Our life is now like a boomerang Sooner or later goodies will be in our hand Just like picturesque all memories are in my mind Which could be frame with all the story behind. A lot of nicknames we have But always in a 3 pair stack Our group "Ranga Dacoit" So much strange But enough to share a moment in our lane. Room 401 is away from home But like home for us Where idiotic things always work Whether gossips or gram time But i love the peanut As if these are only mine. A lot of food and

तकलीफ 🙂🤗

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तेरी गोद नहीं , तो कोई तकिया ही सही जी भर के ज़रा रो तो लूं इस दिल में कितना दर्द भरा है   बहा कर तुझे दिखा तो दूं..... हर किसी की एहमियत है तेरी जिंदगी में  बस  एक मै ही गैर बन जाती हूं , मेरा हाथ छोड़ कर, तू किसी और का थाम भी ले  पर मैं तो तेरे जाने के ख्याल से भी    तड़प जाती हूं....                                                  Rabiya...

मौत की दस्तक😴😴

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कल रात मैंने, अपने स्वपन में अपनी मौत से मुलाकात की उसने कहा, कितनी खुदगर्ज है तू जो तुने मरने की फरियाद की । भुल गई तु ,तेरी ज़िंदगी  खुदा की मेहरबानी है जिसे जीने में तूने की आनाकानी है। तू ना सही, तेरे लिए कोई  जी रहा है उसे छोड़ के जाने में तेरा मन न खीज रहा है। तेरे सपने जो ,तुझे करने थे अपने अब अधुरे रह जाएंगे जिन्हें पूरा करने के लिए समय ही समय था लेकिन अब कुछ अधूरे पल से रह जाएगे। अब तुझे जन्नत ,मिलेगी या जहन्नुम तेरे किए हुए कर्म ही तुझे बताएगे।