तालाबंदी 🔐




इस तालाबंदी में
क्या तेरा क्या मेरा हाल हुआ
जिंदगी घरों में सिमट गई
ऐसा कोरोना का प्रहार विशाल हुआ
इंसान पिंजरो में कैद
पक्षिया आजादी का शोर मचाते है
हम अंदर बैठे यही गुथी सुलझाते है।
समाजिक दूरी ही इसका निवारण है
मगर हम जान पर खेलने का शौक
रखने वाले इसको भी भुल जाते हैं।
आज हर वर्ग का इंसान
चरणों पर बसर करने को मजबूर है
चाहे वो उघोगपति हो या मजदूर है।
राजनीति का बोल बाला
आज भी कुछ कम नहीं हुआ है
झूठे वादे करना ही
उनकी सर्व प्रथम सेवा है।
अस्पतालों में जमघट
शवों का रोज़ लगा हुआ है
मानों जैसे कीड़े-मकोडो सा दम
मनुष्य रोज तोड़ रहा है।
हम घरों के अंदर बसे
खुद को सुरक्षित समझ रहे है
मगर अस्पताल, पुलिस वाले
आज भी जंग लड़ रहे है।
कुछ बुरा तो कुछ अच्छा भी हुआ है
वातावरण का प्रदूषण
नदियों का कचरा कम भी तो हुआ है ।
अर्थशास्त्र में आई कमी
सोच का दायिरा बढ़ा रही है
तकनीकों से व्यवसाय प्रतिदिन बढ़ा रही है।
परिस्थितियां बुरी हुई तो क्या
काम आज भी नहीं रुका है
जीवन शिक्षा का ढेरा हमेशा खोल रहा है।
इस संकट की घड़ी में
आप अपने परिवार के पास है
ये भी क्या कोई कम बात है।
यहाँ ना जाने विपदा कैसा रूख लाएगी
अब भी समझ जाओ भईया
नही तो फिर न जाने कैसे वापस आएगी।
तालाबंदी में हमने दीये जलाए
थाली-ताली खुब बजाई
अब संभल जाने की बारी है आई।
अंततः जिंदगी से हताश न हो कर
कुछ रोज नया अपनाईये
जीवन को नयाब तोफा समझ कर
हर्ष, उल्लास के साथ जब तक
जीवन है जीते जाइए।

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