नमी 🙂

 


उस शर्ट से आज भी तेरी खुशबू आती है 

तेरे इत्र की महक तेरे होने का एहसास कराती है ।


और वो जो शॉल दिया था तूने 

हुबहू तेरी बाहों की गर्माहट देता है 

पर वो चूड़ियों का रंग ,

कुछ ज़रा फीका सा पड़ गया है ।


बालों को ढीला सा बांध कर 

चेहरे पर लटोंं का आना अब नहीं पसंद मुझे ।

और हां लाल रंग की सुर्खी भी

 होठों पर लगाना छोड़ दिया मैने ।


वो काले वाले झुमके , कानों से ज्यादा मेरे हाथों में रहते है 

तेरी पसंद का हल्का सा सुरमा लगाना भी , अब आदत से हटा दिया मैंने 

कैसे बताऊं तुझे ?

किस क़दर इस दिल को पत्थर बना लिया मैंने ....


                                       - rabiya










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