मुकम्मल अधूरा इश्क़😇❤
बेइंतहा तन्हाई में कुछ खोजते से रहते हैं
भीड़ में हर घड़ी खोए से रहते हैं
कुछ ना होने के बावजूद जी रहे हैं, यही बहुत है ....
मांग लेता आंखों के मोती को कोई तो देने में ग़म ना होता,
पर आंखों से उसे छीना इस कदर कि
इनमें अब नमी ही बहुत है....
धीरे से छीन गया सब कुछ ये एहसास ही आज हुआ
अब तो ना तारे अपने और ना ये चांद
बस हर पहर एक सूरज की धूप ही जलाती है
जो बचा है उसे भी अपना सा बताती है
छांव में गर आ भी पहुंचे तो जिंदगी ने बताया हमारे पास तो कमी ही बहुत है....
Lajawab , behisab, khoob..
ReplyDeleteMere dil mre utar gyi😌💛
thank you
DeleteSo true
ReplyDeletethank you
DeleteWow it's touching..🙂
ReplyDeleteKeep going
thanks for the compliment
Delete