एक तरफा 🙂


आज कल बेख्याली में मुस्कुरा के चलते हैं
अक्सर तुझसे पलकें झुका के मिलतें है
इसमें कुछ तो तेरे नूरानी चहरे का ख़ुमार है
                          और
कुछ हम भी ख़ुद को खोने को तैयार हैं....


तन्हाई में कुछ तो गुनगुनाते रहते हैं
तुझे इक पल देखते ही शरमा के खुद में सिमट जाते हैं
इसमें कुछ तो तेरी नजरों की ग़ुस्ताख़ी है
                        और
कुछ हम भी ग़ुस्ताख़ हैं.....


तेरी मुस्कुराहटों की सलवटों से आखें भी खिल जाती है
तेरे होने के अहसास से दिल की धड़कने भी बढ़ जाती है
इसमें कुछ तो तेरी अदाओं का नशा है
                     और
कुछ हम भी मदहोश होने को बेकारार है....


तेरी ज़ुल्फ़े काली घटा से भी ज्यादा कातिल लगती है
तेरे जिस्म की खुशबू इत्र से ज़्यादा महकती है
इसमें कुछ तो तेरी बातों का जादू है
                      और
कुछ हमारे भी बिगड़ने के आसार हैं..... 

Comments

  1. Katai zehar
    Aag Hai aag
    Awesome
    Lit❤️💗

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