जी चाहता है... 🤩



संग -ए- मरमर से तराशा हुआ ये शोख़ बदन
इतना दिलकश है कि अपनाने को जी चाहता है।

सुर्ख होठों से छलकती है वो रंगीन शराब
जिसको पी-पी कर बहक जाने को जी चाहता है।

नरम सीने में धड़कते है वो नाज़ुक तूफान
जिनकी लहरों में उतर जाने को जी चाहता है।

नूर ही नूर छलकता है हंसी चेहरे से
 बस यहीं सजदे में गिर जाने को जी चाहता है।

अपने हाथों से सवांरा है तुम्हें कुदरत ने
देख कर देखते रह जाने को जी चाहता है।

कब से ख़ामोश हो ऐ जान- ए - जहां
कुछ बोलो भी , क्या और सितम ढाने को जी चाहता
 है?
तुमसे क्या रिश्ता है कब से है मालूम नहीं
लेकिन इस हुस्न पे मर जाने को जी चाहता है।

बेकरार  सोये है लूट के नींद  मेरी
जज़्बे दिल पे तरस खाने को जी चाहता है।

चांद की हसती है क्या सामने जब सूरज हो
आपके कदमों में मिट जाने को जी चाहता है।

मेरे दामन को कोई और ना छू पाएगा
तुमको छू कर ये कसम खाने को जी चाहता है।

छोड़ के तुमको कहाँ चैन मिलेगा हमको
यहीं जीने, यहीं मर जाने को जी चाहता है।


                                                         -  BABA











Comments

  1. Ur line r so beautiful... Inko padhte rehna ko jee chahta h🙂

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    1. Very kind of you ...mujhe v apko thanks kehtey rhe jane ko ji chahta hai ..

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  2. Aapke in sundar panktiyon k liye.. Jee chahta h aapke pyar mein doob jaun.... Aapne jis khubsurti se ese pesh kiya h... Ki rooh mar mitne ko taiyaar ho jaaye... 👍👍👍Very touching and beautiful lines.. ♥️♥️👍👏

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  3. Great lines🙌🙌
    Keep growing

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  4. padh kr taliya bajane ko jee chahta h

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