पहली मोहब्बत❤



उन्स है मुझे उस शख्स के लिए
इज़तिरार सी हो जाती हूँ
मेरा अक्स सा लगता है तू मुझे
रफिक़ तुझे अपना बनाना चाहती हूँ।

बरख़ पर लिख दूँ तुझे
मेरी स्याही ब-दस्तूर कहती है
फ़ानी सा नाम है तेरा
हिकायत सी मुझे याद रहती है।

महदूद  नहीं बेशुमार चाहती हूँ
फिलहाल कुछ छुपे से जज़्बात  मेरे
कभी चाहो तो खुल कर बतलाती हूँ
उज़ृ नहीं फरमाऊंगी, अपनी चाहत का
मुक्मल वो अफसाना तुमको हूबहू  बतलाऊंगी। 

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