चंद जज़्बात


-"ताबीर करूँ कुछ इस कदर तुम्हारी
शमा - सी मेरी जिंदगी में लाते हो
औरों से नहीं हो तुम , मेरे कल्ब को छू जाते हो
पाक दामन तुम्हारा ऐसा, कि मेरे ज़ेहन में
 नूर भर जाते हो ।"



-"चली थी जिन रस्तों पे ऐ रहबर तेरे साथ
अब वहाँ तू न सही पर तेरी मुश्क से निस्बत सी है
तेरी यादों से इतनी कुर्बत है 
कि अब सिफर सी मेरी जिंदगी हो चली है। "

Comments

  1. खो गए इस जहा मे हम कहा तुम कहा।
    Your words are touching. Keep writing for people like us.

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