चंद जज़्बात
-"ताबीर करूँ कुछ इस कदर तुम्हारी
शमा - सी मेरी जिंदगी में लाते हो
औरों से नहीं हो तुम , मेरे कल्ब को छू जाते हो
पाक दामन तुम्हारा ऐसा, कि मेरे ज़ेहन में
नूर भर जाते हो ।"
-"चली थी जिन रस्तों पे ऐ रहबर तेरे साथ
अब वहाँ तू न सही पर तेरी मुश्क से निस्बत सी है
तेरी यादों से इतनी कुर्बत है
कि अब सिफर सी मेरी जिंदगी हो चली है। "
खो गए इस जहा मे हम कहा तुम कहा।
ReplyDeleteYour words are touching. Keep writing for people like us.