अधूरा अफसाना.... 🤗


राहिल तेरे इश्क की
उन गलियों से गुजराती हूँ
तेरी इक झलक जो दिख जाए
अहल- ए- शौक़ मैं खुद को तेरा समझती हूँ।

अकीदा  कर मेरा तू
फिक्र मुझे तेरी भी होती है
बस अलफ़ाजो के तकाजे़ से
मेरी मोहब्बत सुपुर्द -ए - ख़ाक होती है।

मेरी चाहत कुछ इस कदर
निस्फ सी रह गयी
कि मेरा अहद भी टूट गया
और मैं खुद से ना-मालूम सी रह गयी।










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