सफर🙂🙃

 


राह-ए-जिंदगी गुमनाम सी, नाम के सफर का पता पूछ रही |

जैसे चिट्ठी कही खो गई हो,और तरसती निगाहें राह तकती हुई |

मुसाफ़िर था अब स्थायी हो गया,परिवर्तन का चौक अबतक न बना |

वक्त का बना हूँ करजदार, इसी जिंदगी में सूत समेत चुकाना पडेगा उधार |

काविश की सीढ़ियों पर चढा, पर इम्तिहान ने तो बस नीचे का ही रस्ता दिखाया |

ये लंबा कठिन सफर अकेले का नहीं था,इसलिए चेहरे में कैद मुस्कराहटें अभी बाकी है |

सफर में चोटें जो इतनी खाई कि अब लड़खडाने ने संभलना खुद ही सिखाया |




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