शेष🤔🤔


 अपने आपे में रह महलों के खवाब क्यों देखता है|शेष जिंदगी शेष रहेगीं विशेष होने का सवाल ही नहीं उठता है |

यही सुनते हुए मेरा जहां आज भी बस अधूरा ही है |कल्पना मेरी कल्पना रहेगी या जैसे इसकी भी कोई मजबूरी है |

यादों का पिटारा खोलूं तो पूरा दरबार है| वर्तमान तो वर्तमान ही रहेगा क्योंकि इसका काम ही बन ना खलिस्तान है |

अदा अदायगी मेरे सफर का हिस्सा नहीं रहे हैं| पर अपने तो अपने रहेगें उनके लिए गेरो सा खिलखिलाना पड़ता है |

पीछे मुड़कर देखने का तो अब वक्त भी नहीं है| जरूरत अब तो जरूरत रहेगी समय जो निकल गया बहुत है |

अब तो अपनी किस्मत का खेल देखते रहते है| जो अफसोस है बहुत अफसोस रहेगा ना जाने गलतियां कि ही ढेर है |


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