वजह🍁🍂
वजह तेरे लौटने की खत्म
खाफी दूर चला गया है ना
खुशी नहीं थी ये दिक्कत थी
मैं जी रही ये तकलीफ बनी
संग्रह सहज मन को घिचे
डोरे नाजुक भ्रम ठीक है
निश्चित है बीती कहानियाँ कई
बिखरे किस्से तमाम तमाम भरे
मैं घिरी हूँ बेडिया खोलती हुए
अपने हिस्से की खुशी ठठोलती
अब वैसा हमारे बीच बंधन नही
पहले जैसा जीने के लिए दुबारा
जीने जैसे यहाँ कुछ भी नहीं
पलकें अभी भी झपकी ना
अशको का संभलना ही देखुँ
पर अभी भी कैद करना चाहूँ
अकेले में इन्हें खुद ही पोछ लूं....
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